जोधपुर। बाड़मेर रेंज की साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन रेड प्रेयरी में बड़ी कार्रवाई करते हुए 50 हजार के इनामी बदमाश और मादक पदार्थों की तस्करी के बड़े खिलाड़ी भजनलाल उर्फ भजनालाल निवासी बाछला पुलिस थाना धोरीमन्ना (बाड़मेर) को नाथद्वारा से गिरफ्तार किया।

ड्रग्स तस्कर भजनलाल ने चितौड़ के भदेसर इलाके में पहाड़ी पर अपना नियत्रंण कक्ष बना रखा था। पहाड़ी मंदिर की पिछली दीवार के पास एक झरोखे पर एक स्थायी मोबाइल रख रखा था।
ड्रग्स की खेप लाने पहले भजनलाल अपने साथी रूपाराम के साथ सांवलिया सेठ मंदिर में पूजा करने के लिए जाता था और वापसी में नाथद्वारा महाराज के यहां धोक लगाने जाता था। वह एक साल में मादक पदार्थ की तस्करी से एक से 1.5 करोड़ की आमदनी करता था।
रेंज के आईजी विकास कुमार ने बताया कि भजनलाल 11 साल से तस्करी कर रहा था। सालाना 100 दिन तस्करी का काम करता व दो करोड़ रुपए कमाता था। आईजी रेंज विकास कुमार ने बताया कि भजनलाल हर हफ्ते मध्यप्रदेश से राजस्थान तक छोटे वाहन में 3 से 4 क्विंटल डोडा चूरा लाया करता था। इस तरह पिछले एक साल में करीब 150-170 क्विंटल (15 से 17 टन) डोडा चोरा राजस्थान के मारवाड़ इलाके में आपूर्ति कर खपा चुका था। भजनलाल और बाड़मेर के कुख्यात तस्कर रहे बिरदाराम सियोल ने आईटीआई की पढ़ाई साथ की थी। बाद में भजनलाल ने पेट्रोल पंप पर काम किया। जालसाजी की तो निकाला दिया गया। बदला लेने के लिए पंप पर हमला कर दस लाख रुपए लूट लिए। इसके बाद बिरदाराम का चालक बना। बाद में बिरदाराम के साथ विश्वासघात कर अपनी गैंग बना ली। कुछ समय पहले बिरदाराम की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। भजनलाल भी एक दुर्घटना में घायल होने के बाद कमजोर हो गया। इस दौरान उसने गैंग के साथी रूपाराम को लीडर बनाने के लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी, लेकिन इससे दूसरा साथी नाराज हो गया। उस साथी ने साइक्लोनर टीम को सूचना दी। उसने भजनलाल और रूपाराम दोनों को पकड़ा दिया।
●यूं बना ऑपरेशन रेड प्रेयरी
आईजी के अनुसार भजनलाल के नाम के लाल से रेड और भजन से प्रेयर शब्द बनाकर चार माह पहले अभियान चलाया। भजनलाल 11 साल से एमपी से तस्करी कर रहा था। भजनलाल के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 8 मुकदमे दर्ज हैं, जबकि रूपाराम एमपी, गुजरात और राजस्थान में वांछित है। वह इन दिनों एमपी जेल से पेरोल से छूटने के बाद फरार था। आईजी ने बताया कि उसे एमपी पुलिस को सुपुर्द किया जाएगा।
◆मैसेज पासिंग का अनोखा तरीका
भजनलाल ने एक दशक में नेटवर्क इतना मजबूत कर लिया कि कोई उसे तोड़ नहीं पा रहा था। एक रात से ज्यादा कहीं नहीं रुका। एक फोन व वाहन का दुबारा उपयोग नहीं करता। सेकंड हैंड गाड़ी खरीद कर इंजन और चेसिस नंबर मिटा देता व एक बार काम में लेकर छोटे तस्करों को बेच देता। उसे कोई ट्रैक नहीं कर सके, इसलिए चित्तौड़ में भदेसर पहाड़ी पर मंदिर में कंट्रोल रूम बना रखा था, जहां मोबाइल रखता, लेकिन उसमें इंटरनेट नहीं होता था। गैंग के सदस्य अपनी सूचना उस मोबाइल के ड्राफ्ट बॉक्स में लिख कर चले जाते। दूसरा सदस्य जवाब लिख कर चला जाता। इसी तरीके से तस्करी की प्लानिंग करते। उसे ट्रैक करना संभव नहीं था।
●प्रेमिका को नया लीडर नहीं आया पसंद
पुलिस के अनुसार भजनलाल हर काम प्लानिंग से करता था। सप्ताह में एक खेप ही डिलीवर करता था, बाकी आराम करता। उसकी प्रेमिका भी है। दुर्घटना में भजनलाल का कंधा टूटा तो रूपाराम पर हाथ रखकर उसे लीडर बनाने लगा। इससे प्रेमिका नाराज हो गई। उसने गैंग के दूसरे साथी से कहा कि तुम काबिल हो, लीडर तुम्हें बनना चाहिए। इसके बाद लीडर बनने की चाह में उसका सिपहसालार बागी हो गया। सिपहसालार ने तय किया कि वह भजनलाल को निपटाएगा और उसने साइक्लोनर टीम को पहाड़ी का पता दे दिया।

Author: डेस्क/माय सर्कल न्यूज
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