
चित्तौड़गढ़। जिले के भूपालसागर में स्थापित की जा रही राणा पूंजा सोलंकी की मूर्ति की गलत वेशभूषा व गलत नामकरण के विरोध में राजपुत समाज ने प्रदर्शन कर जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि महाराणा प्रताप के परम सहयोगी राणा पूंजा सोलंकी पानरवा के क्षत्रिय राजपूत सोलंकी शासक थे। वे राजपूतों व भीलों की सयुंक्त सेना के साथ हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पक्ष में लड़े थे, पानरवा क्षेत्र जो की भोमट में स्थित हैं। यह क्षेत्र भील बाहुल्य क्षेत्र रहा हैं जिससे राणा पूंजा सोलंकी की सेना में भील जाति के सहयोगी अधिक संख्या में शामिल रहे थे। दुर्भाग्यवश इतिहास को विकृत करने की मंशा से षड्यंत्र पूर्वक राणा पूंजा सोलंकी राजपूत को भील दर्शाया जा रहा हैं। वर्तमान में चित्तौड़गढ़ क्षेत्र के भोपालसागर चौराहे पर स्थापित उनकी मूर्ति को आदिवासी वेशभूषा मे प्रस्तुत किया जा रहा हैं जो सम्पूर्ण राजपूत समाज के लिए अपमान जनक हैं। राणा पूंजा सोलंकी के क्षत्रिय राजपूत होने के प्रमाण, स्वरूप पट्टे, परवाने, शिलालेख एवं अन्य ऐतिहासिक साक्ष्य आज भी उनके वंशजों के पास पानरवा में उपलब्ध हैं। इतिहासकारों ने भी इनके राजपूत होने की सर्वसम्मति से पुष्टि की है। राणा पूंजा सोलंकी के वर्तमान वंशजो द्वारा इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट व राजस्थान उच्च न्यायालय में भी वाद पेश कर रखे है व इसी प्रकार पिछले दिनों इनके द्वारा कुछ विधायकों सहित कुछ लोगों पर पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवा रखी है। उसके बावजूद भी भूपालसागर में इस प्रकार प्रतिमा स्थापित कर जातीय वैमनश्य बढ़ाने का जो प्रयास किया जा रहा है जिससे सम्पूर्ण मेवाड़ क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है। राजपूत समाज की यह स्पष्ट मांग हैं कि या तो वो मूर्ति वहां से हटाई जाये या फिर उसे उनकी राजपूत समाज की पारम्परिक वेशभूषा में स्थापित की जाये व उनका नामकरण भी राणा पूंजा सोलंकी किया जाय। राजपूत समाज ने चेतावनी दी हें कि चित्तौड़गढ़ जिले सहित पूरे मेवाड़ का राजपूत समाज कार्यक्रम का बहिष्कार कर विरोध करेगा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज सरकार व पुलिस प्रशासन की होगी। राणा पूंजा की सोलहवीं पीढ़ी के वंशज राणा मनोहर सिंह की पुत्रवधु कुंवरानी कृष्णा कुमारी सोलंकी भी चित्तौड़गढ़ पहुँची व ज्ञापन में शामिल होकर इस विषय में जिला कलेक्टर को विस्तृत जानकारी दी। जौहर स्मृति संस्थान के महामंत्री तेजपाल सिंह शक्तावत ने भी सम्बोधित किया। आपको बता दे कि भोपालसागर में आगामी 29 मई को महाराणा प्रताप और राणा पुंजा की प्रतिमा का लोकार्पण करने के लिए प्रदेश के सीएम भजन लाल शर्मा भी आएंगे। लोकार्पण कार्यक्रम से पहले ही प्रतिमा को लेकर विवाद बढ़ने लगा हैं। मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केन्द्रीय कार्यकारिणी के महामंत्री भवानीप्रताप सिंह ताणा ने भी पानरवा ठिकाने की मेवाड़ गजट की जानकारी दी। इस दौरान जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव नरेन्द्रसिंह, उपाध्यक्ष महिला निर्मला कंवर, संयुक्त मंत्री गजराज सिंह बराड़ा, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष सहदेव सिंह नारेला, क्षत्रिय युवक संघ के एडवोकेट लक्ष्मणसिंह बड़ौली, दिलीप सिंह रूद, पुष्पेन्द्रसिंह चौथपुरा, भंवरसिंह नेतावलगढ़, नरोत्तमसिंह भीलवाड़ा, रामसिंह ताणा, कुलदीपसिंह डाबला, नरेन्द्रसिंह व कमलेन्द्र सिंह चौथपुरा, राष्ट्रीय करणी सेना के जिलाध्यक्ष अरविन्द सिंह सावा, उपाध्यक्ष खुशबुसिंह जोधपुरिया, अमर सिंह हड़मतिया, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कानसिंह सुवावा, विक्रम सिंह चौथपुरा, नरपतसिंह भाटी, रघुवीरसिंह सोलंकी, राजेन्द्र सिंह खेड़िया, शिवराजसिंह धीनवा, दीपक सिंह बड़ौली, रविराज सिंह भावलिया, कमलसिंह धीनवा, राजूसिंह मांगरोल, श्याम कंवर सुवावा, आरती कंवर, सरला कंवर, सरिता कंवर, मालमसिंह पंवार, प्रहलादसिंह धरोल, सुरेन्द्रसिंह उदपुरा सहित बड़ी संख्या में कई समाजजन उपस्थित रहे।


Author: डेस्क/माय सर्कल न्यूज
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