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July 1, 2025 10:13 pm

यूपीएससी का परिणाम घोषित होने के बाद राशमी आने पर कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर सहित ग्रामीणों ने सिद्धार्थ पोखरना का किया स्वागत

राशमी। यूपीएससी की ओर से घोषित परिणाम में स्थानीय निवासी सिद्धार्थ पोखरना 216वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस चयनित हुए हैं। बुधवार सुबह साढ़े 9 बजे वह पहली बार अपने गांव पहुंचे। जहां उनका कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर सहित स्थानीय ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने मेवाड़ी परंपरा अनुसार साफा एवं माला पहनकर स्वागत किया। बैंड बाजा के साथ सिद्धार्थ पोखरना को घर पहुंचाया। इस दौरान रास्ते में जगह-जगह ग्रामीणों ने स्वागत किया। वहीं भव्य आतिशबाजी कर खुशी जाहिर की। आपको बता दें कि सिद्धार्थ का परिवार मध्यमवर्गीय है। पिता प्रकाश पोखरना कपड़ों का व्यवसाय करते है और मां हेमलता पोखरना घरेलू महिला होने के साथ-साथ एलआईसी एजेंट भी हैं। छोटा भाई दिव्यम पोखरना जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। बड़े पिता दिनेश पोखरना स्टांप वेंडर एवं फोटो स्टेट का व्यवसाय करते हैं। सिद्धार्थ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 8वीं क्लास तक विद्या निकेतन राशमी के एक स्कूल से ली। इसके बाद उन्होंने 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई उदयपुर के स्कूल से की। वे शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी थे। इसके बाद उन्होंने देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कर्नाटक से बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग) किया। पढ़ाई के दौरान भी वे बेहद अनुशासित और लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे। बीटेक करते समय सिद्धार्थ ने प्राइवेट जॉब करने का सोच लिया था, लेकिन इंजीनियरिंग के तीसरे साल में उन्होंने आईएएस की तैयारी करने का निर्णय ले लिया और चौथे साल में पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2022 में बीटेक पूरा करने के बाद वे दिल्ली चले गए और वहीं रहकर प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुट गए। आज के समय में जहां अधिकतर युवा यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा के लिए महंगी कोचिंग का सहारा लेते हैं, वहीं सिद्धार्थ ने बिना किसी कोचिंग के ही इस परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपना हथियार बनाया और कठिन मेहनत व अनुशासन से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहे। उनका मानना है कि कोचिंग में काफी समय फालतू चला जाता है, जबकि खुद से पढ़ने में चीजें गहराई से समझ में आती हैं और सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। वे कहते हैं, “मेरे पास कोचिंग का ऑप्शन था, लेकिन मैंने तय किया था कि मैं खुद पढ़कर ही यह परीक्षा पास करूंगा। मुझे अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास था।” उन्होंने दिन का एक-एक घंटा योजना बनाकर पढ़ाई में लगाया। न्यूजपेपर, मैगजीन, ऑनलाइन कंटेंट, मॉक टेस्ट और पिछले सालों के क्वेश्चन पेपर्स का गहराई से पढ़ाई करना उनकी तैयारियों का हिस्सा रहा।सिद्धार्थ ने यूपीएससी परीक्षा का पहली कोशिश साल 2023 में किया था। हालांकि वे कुछ नंबरों से मुख्य सूची में जगह बनाने से चूक गए। लेकिन इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और ज्यादा दृढ़ बना दिया। उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना, उन्हें दूर करने के लिए रणनीति बदली, टाइम टेबल को और ज्यादा सख्त बनाया और फिर से एग्जाम में बैठने की तैयारी शुरू कर दी। इस बार उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस पहले से ज्यादा मजबूत था और मेहनत दोगुनी। दूसरी कोशिश में सिद्धार्थ ने केवल यूपीएससी की मुख्य परीक्षा (Mains) को पास किया, बल्कि इंटरव्यू में भी शानदार प्रदर्शन किया। उनका लास्ट सिलेक्शन देश के सबसे कठिन और प्रतिष्ठित माने जाने वाले इस एग्जाम में 216वीं रैंक के साथ हुआ।
जब रिजल्ट आया, तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। समाज के लोग, रिश्तेदार, परिचित और शिक्षक-सभी ने फोन, मैसेज और सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दी। जिला कलेक्टर आलोक रंजन को भी जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने सिद्धार्थ को फोन कर बधाई दी।

राशमी कस्बा और चित्तौड़गढ़ जिले में सिद्धार्थ की इस सफलता की चर्चा चारों ओर हो रही है। यह उपलब्धि न केवल सिद्धार्थ की है, बल्कि हर उस युवा की प्रेरणा है जो छोटे शहरों या गांवों से बड़े सपने देखता है।

सिद्धार्थ ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और दोस्तों को दिया।

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