चित्तौड़गढ़। मीरा बाई की भक्ति, त्याग और प्रेम की गाथाओं को अक्षुण्ण बनाए रखने वाली मीरा स्मृति संस्थान इस बार महोत्सव में अपने ही विवादों के कारण सुर्खियों में है। संस्थान के संस्थापक सदस्यों में से एक पूर्व अध्यक्ष और संरक्षक प्रोफेसर सत्यनारायण समदानी के साथ महोत्सव के दूसरे दिन दुर्व्यवहार का गंभीर मामला सामने आया है। इस घटना ने संस्था के ‘उद्देश्य से भटकने’ की बहस को जन्म दे दिया है।

इंदिरा प्रियदर्शिनी ऑडिटोरियम में ‘मां मीरा नृत्य नाटिका’ के कार्यक्रम के दौरान यह विवाद शुरू हुआ। अग्रिम पंक्ति में बैठे प्रोफेसर समदानी को एक व्यक्ति ने वहाँ से उठकर कहीं और बैठने को कहा। इस अपमान से समदानी इतने आहत हुए कि वे कार्यक्रम छोड़कर बाहर चले गए। पदाधिकारियों के समझाने पर वे वापस लौटे, लेकिन उनकी नाराज़गी तब और भड़क उठी जब उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को मीरा संस्थान के अध्यक्ष के कहने पर मंच पर सम्मानित किया गया। समदानी ने कहा, “कुछ लोगों ने संस्थान का मजाक बना दिया है,” और दोबारा पैदल ही घर की ओर निकल पड़े। सचिव राकेश मंत्री सहित अन्य पदाधिकारियों ने आधे घंटे तक मान-मनुहार की। वापस आने के बाद समदानी और अन्य पदाधिकारी सबसे पीछे की पंक्तियों में बैठे। 35 वर्षों से मीरा के कृतित्व पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने वाले प्रो. समदानी के साथ हुए इस व्यवहार को लेकर शहर में गहरा आक्रोश है।
●केंद्रीय मंत्री अनुपस्थित, उपमुख्यमंत्री का दौरा भी निरस्त
संगठन में ‘अंदरूनी सियासत’ के चलते वीआईपी अतिथियों ने मीरा महोत्सव से दूरी बनाई हैं। पूरा महोत्सव कुछ लोगों का जेबी संगठन बनकर रह जाने के आरोपों के बीच, कार्यक्रम में बड़े अतिथियों की अनुपस्थिति ने आयोजन पर सवाल खड़े कर दिए। महोत्सव के लिए आमंत्रित केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत दूसरे दिन शामिल नहीं हुए, वहीं अंतिम दिन उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी का दौरा भी निरस्त हो गया।
●राजनीतिक अनदेखी: माना जा रहा है कि संस्थान द्वारा क्षेत्रीय सांसद को छोड़कर जिले के विधायकों और अधिकारियों की अनदेखी की थी और उन्हें किसी भी कार्यक्रम में न तो उन्हें आमंत्रित किया न ही उनके नामों का उल्लेख किया। जिसे लेकर भाजपा की अंदरूनी सियासत को लेकर देखा जा रहा था। संभवतः इन्ही कारणों से अतिथियों के दौरे निरस्त हुए।
●जनता में निराशा: पिछले 35 वर्षों से शहर के इतिहास का पर्याय रहे इस महोत्सव के कार्यक्रमों का स्तर इस बार अनुकूल नहीं रहा, जिससे शहरवासियों में गहरी निराशा फैली है।

◆सांस्कृतिक प्रस्तुति बनी आकर्षण का केंद्र
विवादों के बावजूद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को संभाला। रविवार को श्रीराम भारतीय कला केन्द्र नई दिल्ली द्वारा प्रस्तुत मां मीरा नृत्य नाटिका आकर्षक रही। इसमें मीरा के जन्म, भक्ति और कृष्ण में लीन होने के दृश्यों का मनमोहक मंचन किया गया। ओडिशी नृत्यांगना कुंजुलता मिश्रा ने भी प्रस्तुति दी। दुर्ग स्थित मीरा मंदिर पर भक्ति रसोत्सव का आयोजन हुआ, जहाँ आकाशवाणी कलाकार दीपक माथुर और नेनिका घोष ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।
Author: डेस्क/माय सर्कल न्यूज
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