बेगूं। क्षेत्र के बेगूं काटुंदा रोड़ स्थित एक निजी अस्पताल के खिलाफ लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। इसको लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंप कार्यवाही की मांग की हैं। ग्रामीणों ने एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में बताया कि ग्राम पंचायत सामरिया के गाँव बड़ीकाखेड़ा निवासी शिवलाल गुर्जर ने अस्पताल प्रशासन पर बिना अनुमति गलत ऑपरेशन करने, नवजात की मौत और मरीज की किडनी फेल होने का आरोप लगाया है। इसको लेकर ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कड़ी कानूनी कार्रवाई की माँग की। सामरिया पंचायत के बड़ी का खेड़ा के ग्रामीणों द्वारा मंगलवार को निजी चिकित्सालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित ग्रामीणों ने बेगूं काटूंदा मुख्य मार्ग पर जाम लगाने का भी प्रयास किया लेकिन सूचना पर बेगूं डीएसपी अंजलि सिंह, बेगूं थानाधिकारी शिवलाल मीणा, पारसोली थानाधिकारी प्रेम सिंह मय पुलिस जाप्ता द्वारा मौके पर पहुंचे। जाम लगाने से रोका, पुलिस ने आक्रोशित ग्रामीणों से समझाईश करते हुए कानून सम्मत कार्यवाही का आश्वासन दिया।

●अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बिगड़ी हालत
ज्ञापन में बताया परिजनों के अनुसार गर्भवती कालीबाई गुर्जर को प्रसव पीड़ा होने पर ओम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की बात कही, जिसके बाद पति शिवलाल तीन बार चित्तौड़गढ़ जाकर ब्लड की व्यवस्था करने में जुटा रहा, आरोप लगाया कि परिजनों की अनुमति के बिना ही ऑपरेशन कर दिया गया। परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि जब वे जवाब माँगने अस्पताल प्रशासन के पास पहुंचे तो उनके साथ अभद्रता करते हुए जातिसूचक गालियाँ दी और धमकाया। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि “पैसे लो और दफा हो जाओ” जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने एकत्रित होकर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा और ओम हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की माँग की। साथ ही शिवलाल गुर्जर को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने और दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
●नवजात की मौत, किडनी फेल होने का आरोप
ज्ञापन में बताया परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में अप्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन किया गया। जिससे बच्चे की मौत हो गई और कालीबाई की दोनों किडनियाँ फेल हो गईं। हालत गंभीर होने पर मरीज को उदयपुर रेफर कर दिया गया, जहाँ अब तक 11 लाख रुपये का खर्च आ चुका है।
●प्रशासन करेगा जाँच
इस गंभीर मामले को देखते हुए प्रशासन ने जाँच के आदेश दिए हैं। यदि ओम हॉस्पिटल की लापरवाही साबित होती है, तो अस्पताल प्रशासन और संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

