बड़ीसादड़ी। सारे तीर्थ माता-पिता के चरणों में है। संसार में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है। यह विचार देवदा में 8 दिवसीय सिद्ध श्री महावीर हनुमानजी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन बड़ीसादड़ी श्री रामद्वारा दिव्य आनंदधाम के संत अनंतराम शास्त्री महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। संत अनंतराम शास्त्री ने कहा कि माता-पिता पांच-पांच संतानों का पालन पोषण कर लेते है, लेकिन कई बार समाज में देखा गया है कि सभी संताने मिल कर बुजुर्ग माता-पिता को दो समय की रोटी भी नहीं दे रहें है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। संसार में माता-पिता का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता है। पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरण ने हमारे युवाओं को भ्रमित किया है। महाराज ने जोर देकर कहा कि हमें हमारे बच्चों को समय पर संस्कार व सनातन संस्कृति की शिक्षा देनी होगी। तब ही इस समस्या से निजात मिलेगा। माता – पिता साक्षात भगवान का रुप होते है। माता-पिता की जो सच्चे मन से सेवा करता है, उसका जन्म जन्मांतरण का फैर मिट जाता है। महाराज ने भक्तों को समझाते हुए कहा कि कोई भक्त धन की कमी के कारण अगर वह तीर्थ यात्रा पर नहीं जा सकता है तो कोई चिंता की बात नहीं है। अगर उसके माता-पिता जिंदा है तो वह उनकी परिक्रमा करें और उनकी सच्चे मन से सेवा करें तो सारे तीर्थ माता-पिता के चरणों में है। माता-पिता की सेवा करने वाले भक्तों को भगवान से सभी तीर्थों का पुण्य फल भी मिल जाता है। कथा में सूरजकुंड के संत अवधेशानंद जी महाराज का भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त हुआ। संत अवधेशानंद जी महाराज के गांव में मंगल प्रवेश के समय सैकड़ों महिलाएं, पुरुष व बच्चे हाथ जोड़ कर खड़े हो गए। कथा में उपस्थित सैकड़ों भक्तों ने संत अवधेशानंद जी महाराज का गगनभेदी जयकारों के साथ पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया। संत अनंतराम शास्त्री महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भक्त, भगवान, भक्ति व गुरु सभी समान होते है। संतों के दर्शन मात्र से भक्तों के जीवन का कल्याण हो जाता है। संत अनंतराम महाराज ने कथा के दूसरे दिन कपिल देवहुति प्रसंग व ध्रुव चरित्र का विस्तृत वर्णन करते हुए कथा का ऐसा जीवंत रसपान कराया कि उपस्थित हजारों भक्त कथा सुनते – सुनते मंत्रमुग्ध हो गये। शास्त्री महाराज ने बताया कि चौबीस अवतारों का स्मरण करने मात्र से नकारात्मक शक्तियों का नाश होकर हमें भगवद्गप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता हैं। चौबीस अवतार की कथा सुनाते हुए गीता उपदेश में कर्म फल का ज्ञान सुनाया। अपने जीवन को प्रभु चरणों में समर्पित कर कर्म करना चाहिए जिससे अपना जीवन सफल होता है। भागवत पुराण का महत्व बताते हुए संत अनंतराम शास्त्री ने कहा कि जिस ग्रंथ को सुनने से जीवन का कल्याण होता हो और भगवान की प्राप्ति हो, उसी का नाम भागवत पुराण है। आज कल समाज में बढ़ती ईर्ष्या पर महाराज ने कहा कि आज इंसान अपने दुखों से जितना दुखी नहीं है, जितना कि दूसरों के सुखों से दुखी है। महाराज ने बताया कि ईर्ष्या से अपना ही पतन होता है। कथा के दौरान भजनों पर कई पुरुष व महिलाओं ने भक्ति के रस में जम कर नृत्य किया। कथा आयोजन समिति के मांगी लाल लोहार ने बताया कि सुबह 7:00 से 11:00 तक प्रतिदिन गांव में हवन हो रहा है। जिसमें 25 से 30 जोड़े रोज हवन कर रहे हैं। 8 दिन तक प्रधान कुण्ड पर घी का हवन करने वाले मुख्य यजमान कैलाश चंद्र सुथार पुत्र चुन्नीलाल सुथार की बोली 111000 रुपए की रही। भागवत कथा में रोज मुख्य आरती के लिए भगवती लाल सुथार पुत्र नारायण लाल सुथार की बोली 37101 रुपए की रही। यह कथा 6 अप्रैल तक प्रतिदिन सुबह 11ः00 बजे से 3:00 बजे तक होती रहेगी। कथा आयोजन समिति के स्वयं सेवक तत्परतापूर्वक सेवाएं दे रहें है। कथा में आरती के बाद हजारों श्रावक – श्राविककाओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया। कथा के बीच में सूरजकुंड के संत अवधेशानंद महाराज को अपने बीच पाकर हजारों श्रावक-श्राविकाएं गदगद व अपने को धन्य समझ रहे थे।


Author: डेस्क/माय सर्कल न्यूज
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