
जोधपुर। प्रदेश में बाल अधिकार संरक्षण आयोग किशोर न्याय बोर्डों एवं बाल कल्याण समितियों के लंबे समय से रिक्त पदों के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। बाल अधिकारों और जेजे अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार की भागीदारी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग किशोर न्याय बोर्डों एवं बाल कल्याण समितियों में सभी पद जेजे मॉडल नियम, 2016 के अनुसार भरे जाएं और इन वैधानिक निकायों को पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएं ताकि वे बच्चों के लाभ के लिए प्रभावी और सार्थक रूप से कार्य कर सकें। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (आरएससीपीसीआर), जयपुर के उप सचिव द्वारा नोडल अधिकारी, किशोर न्याय समिति राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर को 02 मई 2025 को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार RSCPCR आरएससीपीसीआर में कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है और इसका प्रभार अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को दिया गया है। जहां तक सदस्यों का सवाल है, कुल सदस्य 06 होने चाहिए, वर्तमान में एक पद रिक्त है। सदस्य सचिव का पद रिक्त है और अतिरिक्त प्रभार विशेष सचिव, गृह विभाग को दिया गया है। इसी प्रकार, डीवाईएसपी का पद भी रिक्त है।

राज्य में कुल 34 किशोर न्याय बोर्ड हैं तथा स्वीकृत पदों की संख्या 238 (34 प्रधान मजिस्ट्रेट एवं 204 अधीनस्थ कर्मचारी) है, जबकि कार्यरत संख्या 34 प्रधान मजिस्ट्रेट (28 पूर्णकालिक एवं 6 अतिरिक्त प्रभार पर) है। किशोर न्याय बोर्डों में सदस्यों के 68 पदों में से वर्तमान में 54 सदस्य कार्यरत हैं तथा 14 पद रिक्त हैं, जिससे संबंधित बोर्ड का प्रभावी कार्य बाधित हो रहा है। नोडल अधिकारी, जेजेसी ने जेजेबी सवाईमाधोपुर द्वारा प्रेषित पत्र क्रमांक 450 दिनांक 16 जुलाई 2024 को भी प्रस्तुत किया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि दोनों सदस्यों के पद 24 मई 2024 से रिक्त हैं। समस्त किशोर न्याय बोर्ड को अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने के लिए कर्मचारियों की भी आवश्यकता है।
राज्य में कुल 33 बाल कल्याण समितियों में 165 (अध्यक्ष, सदस्य और 33 सहायक सह डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित) के स्वीकृत पदों के विरुद्ध वर्तमान में केवल 144 (अध्यक्ष और सदस्य सहित) और 33 सहायक सह डाटा एंट्री ऑपरेटर ही कार्यरत हैं। इसी प्रकार, विभिन्न बाल देखभाल संस्थानों यानी संप्रेक्षण गृह (4) विशेष गृह (19) सुरक्षित स्थान (19) में स्वीकृत पदों की संख्या क्रमशः 365 और 576 के विरुद्ध लगभग 205 और 144 पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार जिला बाल संरक्षण इकाई (कुल-33) में स्वीकृत पदों की संख्या 201 के विरुद्ध 110 पद रिक्त पड़े हैं।
इस पृष्ठभूमि में यह न्यायालय किशोर न्याय समिति, राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर का प्रभारी होने के नाते किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अपनी स्वप्रेरणा शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बाध्य महसूस करता है। तदनुसार, यह स्वप्रेरणा रिट याचिका के पंजीकरण का निर्देश देता है। इस याचिका की सूचनाएं मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार और सचिव, बाल अधिकार विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर को जारी हुई। न्याय के हित में, यह न्यायालय अनिरुद्ध पुरोहित, अधिवक्ता को न्यायालय की ओर से न्याय मित्र के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया। नोडल अधिकारी, किशोर न्याय समिति एवं रजिस्ट्रार (वर्गीकरण-I), राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर और किशोर न्याय बाल सचिवालय, राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर न्याय मित्र को उचित सहायता प्रदान करेंगे। रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया जाता है कि वे वर्तमान याचिका को राजस्थान उच्च न्यायालय नियम 385-क्यू के अंतर्गत माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि इसे जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत कर उचित खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सके।

Author: डेस्क/माय सर्कल न्यूज
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