
चित्तौड़गढ़। प्रदेश के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम व स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूलों में चयनित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया लगभग एक वर्ष से लंबित है। ऐसे में नया शैक्षिक सत्र 2025-26 आरंभ होने से पहले लाखों विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर अभिभावकों में गहरा असमंजस बना हुआ है। प्रदेशभर में संचालित 3737 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं 134 स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूलों में अभी तक चयनित शिक्षकों की जिला आवंटन व पदस्थापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा 25 अगस्त 2024 को परीक्षा आयोजित कर 23 दिसंबर को परिणाम जारी कर दिया गया था। वही 13 से 16 जनवरी 2025 के मध्य चयनित शिक्षकों के निदेशालय बीकानेर द्वारा 41 जिलो के आधार पर पदस्थापन के लिए विकल्प भरवाने के बावजूद भी लगभग 1 वर्ष का समय बिना शिक्षकों के गुजर जाने से प्रदेश के व पंचायत क्षेत्र के इन विद्यालय में अंग्रेजी माध्यम शिक्षक उपलब्ध नहीं होने से अभिभावक अपने बच्चो का प्रवेश करवाने के लिए संशय में रहे। इनके बाद भी अंग्रेजी माध्यम स्कुलो का प्रवेशोत्सव कार्यक्रम सफल नहीं हुआ, जो विधार्थियों के भविष्य के दृष्टि से गंभीर विषय है बल्कि शिक्षा की गुणवता को भी प्रभावित करने की संभावना बनी हुई है। अब नया शिक्षा सत्र 1 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है, स्थिति और भी उलझी हुई लग रही है। नया शैक्षिक सत्र खुलने को हैं पिछले साल बिना शिक्षकों के ही बच्चों ने अध्ययन किया है व आने वाले 2025- 26 शैक्षिक सत्र में मात्र सप्ताह शेष है। अब सवाल यह है कि सरकार इसी सत्र में जिला आवंटन करवा पदस्थापन कर पाएगी?
नव प्रवेश पर भी पड़ा असर
नव प्रवेशार्थियों के लिए चल रहे प्रवेशोत्सव अभियान पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा है। शिक्षक विहीन स्कूलों को देखकर कई अभिभावक बच्चों को इन विद्यालयों में प्रवेश दिलाने को लेकर दुविधा में हैं। इससे इन विद्यालयों में प्रवेश लक्ष्य प्रभावित हुआ है।
अभिभावकों की मांग — जल्द हो नियुक्ति
अभिभावकों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि नए सत्र की शुरुआत से पूर्व इसी सप्ताह चयनित शिक्षकों का जिला आवंटन व पदस्थापन तत्काल प्रभाव से किया जाए, ताकि ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी माध्यम शिक्षा सुलभ हो सके और उनका भविष्य सुरक्षित रह सके।
स्थानीय अभिभावकों में असमंजस
पंचायत स्तर के स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम शिक्षकों की अनुपलब्धता के चलते अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश करवाने को लेकर असमंजस में हैं। इस कारण कई विद्यालयों में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम भी फीका रहा। स्थिति इतनी गंभीर है कि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से न केवल बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अधर में लटक गया है, बल्कि सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की मंशा पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

